क्या लिखूं क्या न लिखूं??
लिखते हुए सोचना कि
क्या लिखा नहीं मैंने
जो लिखना अभी शेष रह गया
अभी शेष है लिखना मेरा
अभी खेत लिखूंगी
लिखूंगी नदी
अभी प्रेम लिखूंगी
लिखूंगी प्रारंभ
अभी कुम्हार लिखूंगी
लिखूंगी मजदूर
अभी खाद्यान्न लिखूंगी
लिखूंगी कारखाने
अभी जंगल लिखूंगी
लिखूंगी महानगर
अभी पुरुष लिखूंगी
लिखूंगी स्त्री
मजहब नहीं लिखूंगी
न लिखूंगी सत्ता
राजा नहीं लिखूंगी
न लिखूंगी प्रजा
अभी बहुत कुछ है लिखना
कि मेरा प्रेयस कहता है
कविता पेट नहीं भरती मन भरती है
तो एक दिन खाली पेट भरे मन से
लिखना तुम
एक बेहतरीन धुन
और मत छोड़ना उस धुन पर अपना नाम
कि जब उसे कोई गाऐ तो कहे
नामालूम कौन लिख गया है
पर जिसने भी लिखा
सच लिख है!