कविता: बिहार की बेटी की बेहतरीन कविता ‘डर लगता है’, ज़रूर पढ़े

“Hate is not the enemy of love, Fear is. It destroys your ability to love” 

“डर लगता है मुझे
डर लगता है मुझे हर एक नजर से
जो तुम तक पहुंचती है….
हां मुझे डर लगता है….
कहीं तुम्हारे नजर से न दिख जाऊं मैं….
डर लगता है मुझे तुम्हारे साथ बिताए उस पल से….
कहीं फिर से न दुहराया जाए वो पल….
डर लगता है, हां मुझे डर लगता है हर एक नजर से….
कल जब मैं निरन्तर मिलने की कोशिश को नाकाम साबित कर चुकी थी….
आज उस मिलन से डर लगता है मुझे….
कहीं फिर से ना पास आ जाऊं तेरे मैं….
डर लगता है मुझे….
डर लगता है मुझे कहीं फिर से वो सपने देखना शुरू ना कर दूं मैं….
डर लगता है….
डर लगता है तेरे पास आने से मुझे….
डर लगता है तुझे पाकर खोने से….
हां डर लगता है मुझे तुझे खुद में समाहित करने से….
डर लगता है मुझे तेरे हर एक शब्द से जिसमें मेरा जिक्र होता है….
हां मैं डरती हूँ कहीं फिर से तू मुझे पाने की कोशिश ना कर दे….
डर लगता है मुझे तुझ तक पहुंचने वाले हर एक नजर से….
डर लगता है मुझे कहीं और नफरत ना हो जाए तुझसे….
डर लगता है मुझे प्रेम का लौ जलाने से….
हां मुझे डर लगता है तेरे संग दुबारा समय बिताने से….”

– अदिती राज

लेखिका के बारे में-

अदिति पत्रिकारिता के साथ साथ लेखन का कार्य करती हैं। काफी कविताएं लिख चुकी हैं। बिहार के सीवान की जन्मी अदिति बहुत ज्यादा जुझारू हैं। सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। उनका मानना है कि लिखना जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है। जितना इंसान लिखता है उतना ही बढ़ता है।

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